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यूहन्ना रचित सुसमाचार का एक परिचय
"हमने आप ही सुन लिया"
"वचन परमेश्वर था" (1:1-13)
"वचन देहधारी हुआ" (1:14-18)
"देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है" (1:19-51)
"किसी का ब्याह था" (2:1-11)
"तेरे घर की धुन" (2:12-22)
"नये सिरे से जन्म लेना आवश्यक है" (3:1-36)
जीवन का जल (4:1-42)
सामरियों के बीच रहना (4:16-18)
"तेरा पुत्र जीवित है" (4:46-54)
"क्या तू चंगा होना चाहता है?" (5:1-18)
"पिता पुत्र से प्रीति रखता है" (5:19-47)
ज़बर्दस्ती से राजा (6:1-15)
"यह रोटी खाओ" (6:16-69)
"लोगों में फूट पड़ी" (7:1-53)
"मैं भी तुझ पर दण्ड की आज्ञा नहीं देता" (8:1-11)
"मैं हूं" (8:12-59)
"कि परमेश्वर के काम उसमें प्रकट हों" (9:1-5)
"मैं एक बात जानता हूं" (9:6-41)
अच्छा चरवाहा (10:1-21)
"मैं और पिता एक हैं" (10:22-42)
"यीशु रोया" (11:1-44)
"पुनरुत्थान मैं हूं" (11:1-44)
"मैं विश्वास कर चुकी हूं" (11:1-57)
आप परमेश्वर से "मैं तुमसे प्रेम करता/करती हूं"कैसे कहते हैं? (12:1-8)
फिर से दिशा देने वाला क्रूस (12:32)
"अपने नाम की महिमा कर" (12:9-50)
यीशू ने उनके पांव धोए (13:1-17)
"तुम्हारा मन व्याकुल न हो" (14:1-31)
"सच्ची दाखलता मैं हूं" (15:1-16:4)
"ताकि तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए" (16:1-33)
"हे पिता, वह घड़ी आ पहुंची" (17:1-26)
"मैं उसमें दोष नहीं पाता" (18:1-19:16)
"उन्होंने उसे क्रूस पर चढ़ाया" (19:1-42)
"मैंने प्रभु को देखा!" (20:1-31)
"क्या तू मुझसे प्रेम करता है?" (21:1-25)
काँपीराइट © 2022 ट्रूथ फ़ाँर टुडे
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